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स्मिशिंग (Smishing) : स्मिशिंग या एसएमएस फिशिंग से तात्पर्य ऐसे फिशिंग हमलों से है जिन्हे मोबाइल फोनों पर लक्ष्य किया जाता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति को एक एसएमएस मिलता है जिसमें एक हायपरलिंक दिया होता है। यह हायपरलिंक उस व्यक्ति को मोबाइल फोनों के लिए बनी फिशिंग साइट में ले जाता है।
बॉट नेट Botnet (Zombie PCs) : बॉटनेट ऐसे प्रोग्राम होते हैं जिनके प्रभाव से इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर अपने मालिक की जानकारी के बिना दूसरे कम्प्य़ूटरों को ईमेल भेजने ( स्पैम, मालवेयर या वायरस के साथ) जैसे काम शुरू कर देते हैं । ऐसे संक्रमित कम्प्यूटरों को जॉम्बी पीसी के तौर पर भी जाना जाता है। बॉटनेट शब्द रोबोट और नेटवर्क दोनों शब्दों को मिलाकर बनाया गया है।
ब्लूबगिंग (BlueBugging): ब्लूबगिंग यानि कि ब्लूटूथ के जरिए किसी दूसरे के मोबाइल पर नियंत्रण पाकर उसके मोबाइल से एसएमएस या फोन काल करना। इसमें दूसरे के मोबाइल से सारे फोन नम्बर भी निकाल लेना शामिल है।
पॉड स्लर्पिंग (Pod Slurping): पॉड स्लर्पिंग तब होती है जब आपका आईपॉड या कोई पोर्टेबल स्टोरेज(भंडारण) उपकरण चुपचाप बड़ी मात्रा में डाटा को आपके कम्प्यूटर से अपनी हार्ड डिस्क में स्थानांतरित करने लगता है। पॉड स्लर्पिंग कंपनियों और सरकारी एजेंसिंयों के लिए सिरदर्द का विषय है।
रैन्सोमवेयर (Ransomware): यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो आपके कम्प्यूटर को एकदम बेकार बना देता है और वापस ठीक करने के बदले पैसे मांगता है। यह कुछ कुछ कम्प्यूटर का अपहरण करने जैसा है। इसे क्रिप्टोवायरस या क्रिप्टोट्रोजन के नाम से भी जाना जाता है।
स्केयरवेयर (Scareware): ये प्रोग्राम किसी सॉफ्टवेयर का रूप धरकर लोगों को बेवकूफ बनाता है। मसलन यह एक नकली एंटीवायरस के रूप में होगा और उपयोगकर्ता को ढेर सारे नकली वायरस खोजकर दिखा देगा। फिर उन (नकली) वायरसों को हटाने के लिए पैसे मांगेगा। सिस्टम सिक्योरिटी, एंटीवायरस २०१० और रजिस्ट्री क्लीनर एक्सपी कुछ स्केयरवेयर के उदाहरण हैं।
साइड जैकिंग (Sidejacking): साइट जैकिंग एक हैकिंग तकनीक है जिससे किसी वेबसाइट के कुछ खातों पर पहुंच बनाई जा सकती है। सामान्यत: वेबसाइटें अपने अंदर पासवर्डों को गूढ़(इनक्रिप्ट) करके रखती हैं। लेकिन सेशन आईडी गूढ़ रूप में नही होता। यह यूआरएल अथवा कुकी में रहता है। हैकर इसी सेशन आईडी के जरिए किसी के खाते तक पहुंच सकते हैं और ईमेल पढ़ने जैसे काम कर सकते हैं।
ब्लैक हैट और व्हाइट हैट (Black hat & White hat): ये दोनो ही हैकरों के प्रकार हैं जो सुरक्षा खामियों को खोजते हैं। लेकिन जहां ब्लैक हैट हैकर सुरक्षा खामियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं। वो कई महत्वपूर्ण डाटा चुरा लेते हैं। वो वायरस आदि भी फैला देते हैं। वहीं व्हाइट हैट हैकर इन सुरक्षा खामियों को उजागर करके उन्हे सुधार देते हैं। एक तरह से देखा जाए तो ब्लैक हैट हैकर खलनायक की भूमिका में होते हैं तो व्हाइट हैट हैकर नायक की भूमिका में।


Tuesday 26 February 2013 | 0 comments |

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